नवरात्रि मे आस्था का केन्द्र बन जाती है प्राचीन खंडित देवी प्रतिमा
वट वृक्ष से निकली प्राचीन मूर्तिया
ग्राम सोडलपुर मे नवरात्रि की शुरूवात होते ही पुरा गांव भक्तिमय हो उठता है,हो भी क्यो नही क्योकि यहां एक स्थान ऐसा है जो नवरात्रि में सारे ग्रामीणो के लिए आस्था का केन्द्र बन जाता है। गांव के हर घर से यहां कोई न कोई भक्त जरूर अपनी अर्जी लगाने प्रतिदिन जल और पूजन करने जाते है।
यह स्थान बर्षो पुराना है जहां औरंगजेव के जमाने की प्राचीन खंडित देवी प्रतिमा एक विशाल वट वृक्ष की जड़ो से निकलती है जिन्हे ग्रामीणो ने वही पर एक ओटला बना कर उन्हे विराजमान कर दिया है जिसे आज नजदीकी मीठे पानी की कुईली के कारण कुईली बाली माता के नाम से जाना जा रहा है जहां शारदीय और चैत नवरात्र में सुवह से ही इतनी भीड़ लग जाती है कि भक्तो को आधे से एक घंटे तक पूजन के लिए इंतजार करना पड़ता है। इस गांव में कई विशाल मंदिर बर्षो पुराने है जहां हर हम धार्मिक आयोजन चलते रहते है।जिला प्रषासन को जल्द इस ओर ध्यान देकर व्यवस्था बनाना चाहिए।
नवरात्रि पर्व में सुबह से ही होने लगती है भक्तो की भीड़
यह स्थान बर्षो पुराना है जहां औरंगजेव के जमाने की प्राचीन खंडित देवी प्रतिमा एक विशाल वट वृक्ष की जड़ो से निकलती है जिन्हे ग्रामीणो ने वही पर एक ओटला बना कर उन्हे विराजमान कर दिया है जिसे आज नजदीकी मीठे पानी की कुईली के कारण कुईली बाली माता के नाम से जाना जा रहा है जहां शारदीय और चैत नवरात्र में सुवह से ही इतनी भीड़ लग जाती है कि भक्तो को आधे से एक घंटे तक पूजन के लिए इंतजार करना पड़ता है। इस गांव में कई विशाल मंदिर बर्षो पुराने है जहां हर हम धार्मिक आयोजन चलते रहते है।जिला प्रषासन को जल्द इस ओर ध्यान देकर व्यवस्था बनाना चाहिए।
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