Saturday 26 March 2016

मेरा गांव सोडलपुर

सोडलपुर गांव का नक्‍शा 
यह है मेरे गांव सोडलपुर की कहानी -
मेरा गांव सोडलपुर को धर्मनगरी के नाम से भी जाना जाता है। जिले की सबसे बड़ी ग्राम पंचायतो में मेरे गांव का नाम आता है। इन्दौर-बैतूल राष्ट्रीय राज्य मार्ग पर स्थित है, गांव तक पहुंचने में कोई दिक्कत नही होती यहां आने के लिये साधन सदैव उपलब्ध होते है। गांव तक आने के लिये जिला हरदा से 21 किमी का सफर बस द्वारा तय करना होगा। विकासखण्ड टिमरनी सें नेशनल हाईवे 59ए पर दक्षिण में मात्र 6 किमी की दूरी पर है। यह तो मेरे गांव तक आने की बात हुई।

श्री गुरू कान्हा बाबा के दर्शन करते भक्‍त 

मेरे गांव की खास बाते 
इसे धर्मनगरी के नाम से भी ग्रामीण पुकारते है क्योकि यहां पर कई संतो ने निवास किया है। जिसमें सबसे पहले श्री गुरू कान्हा बाबा जिनके बारे में पहले ही अपने ब्लाग पर लिख चुका हूँ। श्री गुरू कान्हा बाबा का मेला जिले में प्रसिद्ध है जो साल में एक बार लगता है। इस मेले को देखने के लिये जिले भर से लोग पहुंचते है। यहां पर राजस्थान के रामदेव बाबा का मंदिर, संत श्री श्याम जी सरकार की कुटी, राम जानकी मंदिर सहित कई मंदिर है। गांव के दिन की शुरूवात आज भी सुबह 4 बजे से ग्रामीण फेरी लगते है इसमें गांव के सभी मंदिरो में ग्रामीण पहुंचकर भजन करते है। अधिकत्तर ग्रामीण गांव के गुरू कान्हा बाबा मंदिर में मत्था टेक दिन की शुरूवात करते है। गांव में समय-समय पर कई प्रकार के आयोजन होते रहते है जिसमें प्रमुख रूप से गुरू कान्हा बाबा की महाआरती और रामदेव बाबा का विभाल जम्मा जागरण जिले में महशूर है।

गुरू कान्‍हा बाबा की महाआरती में शामिल होने पहुंचे श्रद्धालु

गांव की जनसंख्या करीब 6500 के आसपास होगी। गांव की खूबसूरती लिये बसा हुआ है मेरे चारो ओर खेतो में हरियाली छाई हुई है साथ ही हंसावती नदी सोन्दर्यता को ओर बढ़ावा देती है। आज लगभग सभी मकान पक्के है वर्षो से बसा हुआ है इसमें निरन्तर बदलाव आता जा रहा है। पक्की सड़के है, हेडपंप है, नलजल योजना का पानी घरो में पहंुच रहा है। निवासियो की जागरूकता के कारण पंचायत लगातार विकास कर रही। गांव शिक्षित ग्रामीण जन गांव नाम देश के साथ-साथ विदेशो में भी रोशन कर रहे है। राजनीति में भी दोनो दल बराबर है चुनाव भी शांती से होते रहे है। खेलो में यहंा क्रिकेट सबसे लोकप्रिय खेल है क्रिकेट के यहां जिले के सबसे बड़े आयोजन होते रहते है इस आयोजन में इन्दौर, भोपाल, खंडवा, बुरहानपुर, इटारसी, होशंगाबाद, सत्वास, देवास, बैतूल सहित कई आसपास के जिलो से भी टीम आती है। बालीवाॅल, कबड्डी भी ग्रामीण खेलना पसंद करते  है। गेहूं , सोयाबीन व मूंग के साथ अब सब्जियों की खेती भी की जाती है। डेयरी के माध्यम से दुध व्यवस्याय भी फल फूल रहा है। गांव में लगभग 13 समाज के लोग रहते है जिसमें मारवाड़ी माली समाज और गुर्जर समाज की संख्या ज्यादा है। जिले के नक्शे में शुरू से ही चिन्हित है। 

राजस्‍थान 1100 किमी पैदल यात्रा कर बाबा रामदेव के दर्शन करने जाते ग्रामीण भक्‍त
यह है गांव की खासियत
जिले के बड़े गांवो में शामिल।
जिले का सबसे बड़ा मेला यहां लगता है।
संत श्री गुरू कान्हा बाबा के दर्शन के लिये दूर-दूर से लोग पहुंचते है।
गांव के स्वतंत्रता सैनानी रहे है।
गांव में हायर सेकेण्ड्री तक सरकारी व निजी स्कूल है।
गांव की आर्थिक स्थिति गांव में प्रवेश करते ही नजर आती है।
गांव के कई युवाओ ने देश व विदेश में गांव का नाम रोशन किया है।
गांव की छोटी-छोटी खबरे प्रकाशित होती रहती है।

गांव के श्री गुरू कान्हा बाबा चौक का नजारा



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