Thursday 31 March 2016

गांव में आये चोरो की कहानी

गांव में आये चोरो की कहानी

पुराने लोग बताते है कि बहुत साल पहले की बात है जब हम गुलाम हुआ करते थे तब चोरो का गुट चलता था जिसे गांव वाले धड़ा वाले कहते थे वह बहुत खतरनाक व गांव के साहूकार के यहां से सब कुछ पहले ही बता कर गांव में आते थे। यह उन दिनां की बात है जब मेरे दादाजी की उम्र करीब 10-12 साल के होगें। यह मान सकते है कि करीब 75 वर्ष पहले की बात है। गांव के बाहर एक नदी है जिसे हम भुराली कहते है। धड़े वालो ने गांव में पहले ही खबर दे दी थी कि वो आने वाले है और वो जिस दिन आने वाले थे उस दिन पूरा गांव दहसत में था। गांव वाले रास्‍तो पर नजरे जमाये हुये उनका इंतजार कर रहे थे। पर वह नही आये ऐसा पहली बार हुआ था कि धड़े वालो ने कहा हो ओर उस गांव में वह नही पहुंचे। क्‍या आप जानते है वह क्‍यो नही आये ..................
गांव के बहार जो नदी पड़ती है उसे पार करते ही धड़े वालो को दिखाई देना बंद हो जाता और जब वह वापस घूमकर देखते तो उन्‍हे दिखाई देने लगता और जैसे ही गांव की तरफ देखते जो उन्‍हे कुछ दिखाई नही देता। वह रात भर इसी सोच में परेशान रहे कि यह क्‍या हो रहा है हमे दिखाई क्‍यो नही दे रहा है। तब उसमें एक व्‍यक्ति कहता है कि हे गुरू कान्‍हा बाबा हमसे जो भी गलती हुई है उसे माफ करो अब हम गांव की तरफ कभी आंख उठा कर नही देखेगें। इतना कहते ही उन्‍हे सब पहले की तरह ही दिखने लगता है और उस दिन के बाद कभी भी धड़ जिन्‍हे हम डाकू या चोर कहते है वह कभी हमारे गांव में नही आये। यह सब संत श्री गुरू कान्‍हा बाबा के चमत्‍तकार  के कारण हुआ था। आज भी गांव के लोग उन्‍हे श्रद्धा और विश्‍वास के साथ मानते व पूजते है।

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